रहता तो है सिर्फ इंसान यहाँ ।
हर युग में अत्याचार अशुर देते थे ।
संहार उनका करने खुद इस्वर आते थे ।
मगर आज तो इंसान ही दानवीर कर्ण बनता है ।
आज युग मे इंसान, इंसान को मरता है
शैतान का रूप खुद ही धारण करता है ।
जहाँ पहले राख्याश को देख घबराते
है इस्वर कब इसान इंसान केहलाएंगे
खुद में बैठा रावण मार पाााएंगे ।