Sunday, January 20, 2019

Kuch panktiyaan ...10

हर ज़िक्र की एक सख्शियत जरूर होती है ,
हर ज़ज़्बात की एक हकीकत जरूर होती है,
है अगर कोई ज़िंदा तुम इस जहां में तो,
धड़कन की एक आवाज़ में भी
कई बात होती है,

यूँ तो वक़्त हर ज़िक्र की हक़ीक़त जानता है,
पर उसकी ज़िंदा आँखें भी कोई बात कह जाता है ।

Saturday, December 15, 2018

Kuch panktiyaan ...9

बीते हुए वक़्त आज भी सामनसे गुज़रा करते हैं,
किस्से कहनियाँ अपने दौर की आज भी लुभाया करते हैं,
मंजिल बदल गई, रास्ते भी हमने चुन लिया अपना,
मगर अपने बागबां की महक आज भी हर ज़र्रे में  बसा करते हैं ,
गुज़रे चाहे हर वक़्त इस जहां के टैब भी वो वक़्त लौट नही करते हैं

@sbRadicle✒

Saturday, December 1, 2018

Kuch panktiyaan ...8

ख्वाब थोड़े हमने भी सांचोये थे,
कुछ ख़ास पलों को लम्हा बनाये थे,
यूँ गुज़री वक़्त की सुई हाथ से,
रेत ही बचे थे किनारे के घर में से,

सपने तो यूँ ही दिख जाए करते हैं,
खुली आंख भी ख्वाब दे जय करते हैं,
पर दुनिया आज भी सच मानती नही,
हर रूह में सिमर है कभी मानती नही,
@sbRadicle

Thursday, November 8, 2018

Kuch panktiyaan ...7

हर हसरत आज एक मूरत बन गयी,
खुदा तेरी तोफे से आज रूहानियत मिल गयी,
संगेमरमर की तारीफ में ग़ज़लें लिखी गयी,
पर ए उसकी सूरत जो देखी आज रियासतें कम हो गयी ।

मेहरबान हूँ तेरा आज तेरी क़ुरबत से
इस मुस्कुराहट पे उसके चाहत से
चाहत में जिसके हूँ सुबह शाम से
आज हथेली पे उसके खुशियां हर जहां से ||
@sbRadicle

Saturday, November 3, 2018

Kuch panktiyaan ...6

कुछ बातें वक़्त के मुलजिम बन जाते हैं,
और कुछ दिल की सौगात बन जाते हैं,
कैद तो हम खुद के लब्जों में हैं
और इल्ज़ाम ज़माने के शोर को बताते हैं

कितनों को आज इस वक़्त ने सवेरे
कुछ तो वक़्त के सहारे ही वक़्त गुज़रे
हुम तो बेगुनाह होते हुए भी इंतेज़ार कर रहे हैं
उस घड़ी जब हर लम्हों को वक़्त आज़ाद कर रहे हैं।

@sbRadicle

Friday, October 12, 2018

Kuch panktiyaan ...5

कुछ बातें इस दौर की समझ ना आती,
कोशिश कर रहा पर, हकीकत हालात से हार जाती,
कुछ किस्सा को दफन हो गया फिरदौश में,
जिसकी दिल आज भी सुनवाई कर जाती,

बस एह्साह ही है जो जिंदा रखती है हमें
वरना हमरी भी रूहानियत से भेंट हो जाती ।।

@sbRadicle

Tuesday, October 9, 2018

Kuch panktiyaan ...1

तुझसे आज अपना ईमान मांगते है,
इस जहां से जुड़ा तेरा हर पैगाम मांगते हैं,
हर जिश्म हर मकान नही देख पाती आये मेरे रब,
पर हर जहां में तुझसे मिलने की चाहत मांगते हैं।

दुआ है बस रब मुझे तुझसे रांझीश न देना
मुक़ाम मेरी बस तू ही हो
बस पहचान मेरी बात देना
ताकि कीमत इस जहां की मुझसे अधूरी न हो

Kuch panktiyaan ...4

कामयाब तो हर कोई होता ही है,
कुछ शोहरत से तो कुछ शराफत से होता है,
दस्तूर-ऐ-दुनिया, तेरी पहेली भी निराली है
कुछ की शक़सीयत बनता है तो कुछ का लिए शहादत होता है,,,,,,

@sbRadicle✒

Kuch panktiyaan ...3

कस्ती जीवन की न जाने कौन किनारे जाती है,
हर लहर जिसकी बहती जाती है,
लोग कहते है इसलिए जीवन कुछ नही...
बस एक मंद गति की धारा है...

एक मजधार की पंक्ति सुनाता हुन
किस्सा जिसका में गुनगुनाता हुन
कहता था ज़िन्दगी जिसे मैं
आज भी जिंदा हुन उसे बतलाता हुन

Sunday, October 7, 2018

Kuch panktiyaan ...2

ए हसी, एक लम्हा थे तुम,
दिन महीने साल से सदी बन गए हो,
हर कतरे में छिपी मुस्कुराहट थे तुम,
आज हर ज़र्रे की मुक्तलिफ़ हो गए हो ।

यह है उस पर्वतदगार का रिस्ता मुसलसल है मुझसे,
जो आज भी हर कतरों मे थोड़ा सा बसे हो तुम..
आए हसी आज भी एक लम्हा हो तुम...