तुझसे आज अपना ईमान मांगते है,
इस जहां से जुड़ा तेरा हर पैगाम मांगते हैं,
हर जिश्म हर मकान नही देख पाती आये मेरे रब,
पर हर जहां में तुझसे मिलने की चाहत मांगते हैं।
दुआ है बस रब मुझे तुझसे रांझीश न देना
मुक़ाम मेरी बस तू ही हो
बस पहचान मेरी बात देना
ताकि कीमत इस जहां की मुझसे अधूरी न हो
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