Sunday, May 22, 2011
ऐसी थी झाँसी की रानी......
ऐसी थी झाँसी की रानी
जिसने धुल चटा दिया अंग्रेजों को ।
बिठुर की थी वीरांगना ऐसी,
नाज़ है जिसपे आज सारे ज़माने को ।
कहते है उनकी मोख की तेज थी ऐसी,
जिसके सामने हर कोई झुक जाती ।
उनमे हिम्मत के सामने तो
हर मुस्किल भी आसन बन जाती ।
प्रतिमा थी वो क्रांति की
जिन्होंने भड़काई थी ऐसे आग
हर कोई निकल पड़ा था साथ में
उनके लेके हिंदुस्तान की आज़ादी का राग ।
सचाई की ताकत थी उनके बाजु में
और ज्वाला भरे थे सीने में ।
कमी नहीं थी साहस की
तांत्या की उस तेजस्वी सिस्या में ।
धरती माँ से करती थी प्रेम इतना
समर्पित कर गयी जीवन अपना ।
हर इंसान की आँखों में बसा गयी
एक स्वतंत्र भारत का सपना ।
जब तक थी सांसो में जान
जितने न दिया फिरंगियों को ।
ऐसी थी झाँसी की वो महारानी गर्व है
जिसपे हर भारतवासी को ।
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