Monday, June 6, 2011

जब चले गए तुम नज़रों से दु्र.........

जब चले गए तुम नज़रों से दु्र
हमने नज़ारे देखना छोड़ दिया
इन आँखों  की किस्मत तो देखो
जिसे बसाया उसीने हमें छोड़ दिया

थामे हुए है फिर भी थकी निगाहें और
बस यूँ तकती रहती रास्ता तेरा 
ना छोड़ा लेकिन उस राह को 
चाहे ढल जाये शाम या आये सवेरा

अब ना बची थी दिन ना बची रात
हर लम्हा इंतज़ार जो बन गया था
बस दर है कहीं तुम्हारे मिलने से पहले 
कम्बक्त धड़कन ने साथ ना छोड़ दिया

अब लौट भी जा ए हमसफ़र मेरे 
देख तेरे बिना सब सुना-सुना है यहाँ 
हम तो अब भी खड़े है अकेले वहां 
तुम हमें छोड़ आये थे जहाँ 



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