Saturday, December 15, 2018

Kuch panktiyaan ...9

बीते हुए वक़्त आज भी सामनसे गुज़रा करते हैं,
किस्से कहनियाँ अपने दौर की आज भी लुभाया करते हैं,
मंजिल बदल गई, रास्ते भी हमने चुन लिया अपना,
मगर अपने बागबां की महक आज भी हर ज़र्रे में  बसा करते हैं ,
गुज़रे चाहे हर वक़्त इस जहां के टैब भी वो वक़्त लौट नही करते हैं

@sbRadicle✒

Saturday, December 1, 2018

Kuch panktiyaan ...8

ख्वाब थोड़े हमने भी सांचोये थे,
कुछ ख़ास पलों को लम्हा बनाये थे,
यूँ गुज़री वक़्त की सुई हाथ से,
रेत ही बचे थे किनारे के घर में से,

सपने तो यूँ ही दिख जाए करते हैं,
खुली आंख भी ख्वाब दे जय करते हैं,
पर दुनिया आज भी सच मानती नही,
हर रूह में सिमर है कभी मानती नही,
@sbRadicle