हर हसरत आज एक मूरत बन गयी,
खुदा तेरी तोफे से आज रूहानियत मिल गयी,
संगेमरमर की तारीफ में ग़ज़लें लिखी गयी,
पर ए उसकी सूरत जो देखी आज रियासतें कम हो गयी ।
मेहरबान हूँ तेरा आज तेरी क़ुरबत से
इस मुस्कुराहट पे उसके चाहत से
चाहत में जिसके हूँ सुबह शाम से
आज हथेली पे उसके खुशियां हर जहां से ||
@sbRadicle