Saturday, May 30, 2015

कातिलाना ......

सजे हुए थे वो मुस्कुरा हम रहे थे
झुकी थी निगाहें होश हम खो दिए थे
ऐसी थी वो राज कुमारी जिसे
हम आज हमसफ़र बना रहे थे

रौशनी भी हर तरफ से चमचमा गयी 
सबकी आखें भी उन्हें तकती रह गयी
वो भी काम मदहोश करता  पर उन्होने
हलकी सी कटलीलाना मुस्कान दे गयी


होश संभाले हम खड़े हुए जैसे तैसे
चुपके से हमने पूछा उनसे
आज ही इतना केहर डाल दोगी तो
 जीवन भर हम आपको संभालेंगे कैसे


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