एक चु्लबुली सी दोस्त मेरी
थोड़ी सैतान थोड़ी नादान
पर करती बातें मीठी इतनी
जैसे परोस दिया हो पकवान
नीली ओढ़नी लिए निकले जब
लाए एक अती ही मंद्र छवि
जिसकी एक झलक करदे
किसीको शायर किसीको कवी
हंसी कुछ ऐसी है उनकी
यादों से जो निकले ना
नयन भी है उसकी हसीन इतनी
थोड़ी सैतान थोड़ी नादान
पर करती बातें मीठी इतनी
जैसे परोस दिया हो पकवान
नीली ओढ़नी लिए निकले जब
लाए एक अती ही मंद्र छवि
जिसकी एक झलक करदे
किसीको शायर किसीको कवी
हंसी कुछ ऐसी है उनकी
यादों से जो निकले ना
नयन भी है उसकी हसीन इतनी
देखते ही किसीकी नज़र उससे फिसले न
उस यार की तो सुवसित ऐसी
जिसकी खुसबू भूला दे महक सांझी की
पर यारी का रंग ऐसी उसमे जोफीका कर दे सूरज साँझ की
थोड़ी अनकही बातें उसकी और
खट्टी-मीठी सौगातें सारी
याद आओगे यारा जब हो
दुरी आजाये मुलाकातों में हमारी
ए रब महफूज़ रखना यार को
इतनी दुआ है बस तुझसे मेरी
एक फ़रियाद और भी है सुनलो
बनादो किस्मत मेरे यार की सुन्हेरी
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