टिप टिप कर गिरती बूँदें
कुछ एह्सश जगा गइ दिल में..
और हलकी सी मुस्कराहट ला दी
लेगइ कुछ पुराने यादों से पल में.....
यारों के संग वो हस्ता हुआ कल
जब भीगते थे मिलकर बरसात में....
वोह बरसात में धुलते चेहरे
और पानी भरे होते जूतों में..
चाप चाप कर पानी में कूदना
फिर गिले ही घर लौट जाना था....
पर अगले दिन फिर वोही कहानी थी
और घर में फिर जाकर दांट खाना था..
एक छत्री के ना जाने कितने रहते
फिर भी साथ में ही रहते थे....
कभी तो छाते संग होते फिर भी
यारों क साथ भीगते रहते थे...
आज तो पड़ भी जाये बूँदें तो भी
वोह सम्मा ना ला पायेगी ..
क्या आज की ये छोटी छोटी बूँदे